बाबरी का विवादित ढांचा ढहाए जाने को लेकर लखनऊ की स्पेशल कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया. जज एसके यादव ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत 32 आरोपियोंं को बरी कर दिया. कुल 48 लोगों पर आरोप लगे थे, जिनमें से 16 की मौत हो चुकी है.
जज ने फैसले में कहा कि घटना अचानक हुई थी, इसकी कोई योजना तैयार नहीं की गई थी. आरोपियों के खिलाफ हमें कोई सबूत नहीं मिला. तस्वीरों से किसी को गुनहगार नहीं ठहरा सकते.
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बाबरी विध्वंस 1992 में हुआ था. इससे दो साल पहले 8 जून 1990 को ही सुरेंद्र कुमार यादव ने बतौर मुनसिफ अपनी न्यायिक सेवा की शुरुआत की थी. सुरेंद्र कुमार यादव की पहली नियुक्ति अयोध्या में हुई थी और 1993 तक वो यहां रहे थे. यानी अयोध्या में जब बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया था, उस वक्त सुरेंद्र कुमार यादव की पोस्टिंग वहीं थी और आज वो मौका आया है जब उन्होंने इस बड़े केस पर बतौर सीबीआई विशेष कोर्ट जज फैसला सुनाया है.
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