BIHAR DESK : एतिहासिक गंडक बराज के दाएं तटबंध एफलेक्स बांध (नेपाल प्रभाग) को बचाने की कवायद जल संसाधन विभाग के द्वारा तेज कर दी गई है. इसके लिए 70 मजदूरों को बांध पर सुरक्षात्मक कार्य में लगाया गया है. हालांकि लॉकडाउन में नेपाली सीमा सील होने के कारण एफलेक्स बांध का सुरक्षात्मक कार्य अधूरा रह गया था. जिससे बांध पर खतरा बरकरार है. एक वर्ष पूर्व एफलेक्स बांध का सुरक्षात्मक कार्य शुरू हुआ था. मगर अभी भी 50 फीसद कार्य शेष रह गया है. जबकि गंडक नदी खतरे के निशान के उपर बह रही है .
23 जुलाई 2002 को 6 लाख 39 हजार क्यूसेक के अत्याधिक जल दबाव के कारण एफलेक्स बांध टूट गया था. लेकिन एक बार फिर बाढ़ के समय नेपाली ग्रामीणों में इसके संरक्षण को लेकर बेचैन हैं. नदी का प्रवाह यहां काफी तेज है. गंडक नदी के बढते जल दबाव के कारण कटाव की संभावना जताई जा रही है. लाक डाउन के पूर्व गंडक बराज के दायें तटबंध एफलेक्स बांध से वैष्णव टोला तक 350 मीटर टो वॉल सहित स्प्रोन का निर्माण किया गया है. लेकिन बॉर्डर सील होने के कारण निर्माण सामग्री नेपाल नहीं जाने के कारण गंडक बराज के दाएं तटबंध का सुरक्षात्मक कार्य अवरुद्ध हो गया था. गंडक बराज के दायां तटबंध एफलेक्स बांध भगवान भरोसे हो चला है.
गंडक बराज के दाएं तटबंध एफलेक्स बांध का सुरक्षात्मक कार्य पूर्ण नहीं होने के कारण बाढ़ को लेकर बांध पर खतरा मंडराने लगा है. इससे जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ गई है. बीती रात्रि से गंडक बराज के सहायक अभियंता एवं कनीय अभियंता 70 मजदूरों के साथ कटाव स्थल पर कैंप कर रहे हैं . वर्ष 2019 में जब गंडक बराज के जलाशय में चार लाख क्यूसेक से कम पानी आया तो बांध पर खतरा उत्पन्न हो गया. हालांकि अभियंताओं की तत्परता से जिओ बैग एवं नायलॉन केरेटिग की सहायता से किसी तरह एफ्लेक्स बांध को बचा लिया गया था.
लेकिन इस इस बार गंडक नदी का जलस्तर चार लाख 36 हजार क्यूसेक को पार कर गया है. ऐसे में अभियंता बेचैन हैं. कार्यपालक अभियंता जमील अहमद ने बताया कि बांध की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास जारी है. जानकारों की माने तो अत्याधिक जल दबाव आने पर एफलेक्स बांध टूट सकता है. बताते चलें कि गंडक बराज में कुल 36 फाटक लगे हैं जिसमें 18 भारत में तथा 18 नेपाल में है. इनमें फाटक संख्या 29, 31 एवं 34 की स्थिति अच्छी नहीं है. हालांकि बढते जल स्तर के मद्देनजर सभी गेटों को उठा दिया गया है. कोरोना के कहर से जूझ रहे बिहार को बाढ़ और कटाव की बड़ी तबाही झेलनी पड़ सकती है.
जलस्तर में वृद्धि के बाद बाढ़ का बड़ा खतरा उत्तर बिहार एवं नेपाल पर मंडरा रहा है. हालांकि तब तक इस साल तटबंध को बचाने के लिए उसकी मरम्मत भी की जानी थी , ताकि नदी में पानी बढ़ने पर और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने पर तटबंध को कोई अधिक नुकसान न हो सके . जानकारों की मानें तो गंडक बराज के अपस्ट्रीम में गंडक नदी का तटबंध जर्जर अवस्था में है और इसके कारण इसमें रिसाव का खतरा बना हुआ है. अधिक रिसाव होने पर या फिर नदी में अत्यधिक पानी आने की स्थिति में इसके टूटने का भी खतरा है. ऐसे में इसे दुरुस्त करना बेहद आवश्यक है .
जल संसाधन विभाग ने इसके मरम्मत की व्यापक कार्ययोजना बनायी थी . जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा की अध्यक्षता में बिहार फ्लड कंट्रोल बोर्ड की बैठक में इस योजना को हरी झंडी दी गयी थी. जल संसाधन विभाग के अनुसार गंडक बराज के अपस्ट्रीम में नदी के दांये तटबंध पर 3310 मीटर की लंबाई में सुरक्षात्मक कार्य कराया जाना था. इस एफ्लक्स बांध को सु²ढ़ बनाकर उससे नदी की धारा पर प्रभावी नियंत्रण करने की योजना है. तटबंध इस समय कमजोर है और उसके टूटने से पश्चिमोत्तर बिहार एवं नेपाल के बड़े हिस्से में बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो सकता है.
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