बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) रुझानों में बहुमत हासिल कर चुका है, तो महागठबंधन के उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है. एग्जिट पोल के उलट जश्न बीजेपी के खेमे में मन रही है तो महागठबंधन के नेताओं के चेहरों पर मायूसी छाने लगी है.
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बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. उसने जेडीयू के कम सीटों पर लड़ते हुए 75 सीटों पर बढ़त बना ली है, जबकि आरजेडी दूसरे नंबर की पार्टी है और वह 63 सीटों पर आगे चल रही है. वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी बन चुकी है. जेडीयू के खाते में 50 से कम सीटें रह सकती हैं. वहीं, कांग्रेस पिछले चुनाव में भी चौथे नंबर की पार्टी थी और इस बार भी उसे वही जगह मिली है.
2015 के विधानसभा चुनाव से तुलना करें तो उस समय तीसरे नंबर पर रही बीजेपी को सबसे ज्यादा उछाल मिला है, जबकि जेडीयू दूसरे से तीसरे नंबर पर खिसक गई है. आरजेडी पिछले चुनाव में पहले नंबर की पार्टी थी. 2015 में बीजेपी को 53 सीटें हासिल हुईं थीं. आरजेडी के साथ लड़ी जेडीयू ने 71 सीटों पर जीत हासिल की थी तो आरजेडी ने 80 सीटों पर कब्जा किया था. कांग्रेस ने पिछले चुनाव में 27 सीटों पर जीत हासिल की थी तो इस बार उसे 21 सीटों पर बढ़त है.
एलजेपी की सीटों में इजाफा नहीं
लोक जनशक्ति पार्टी ने इस बार बिहार चुनाव में अकेले उतकर बड़ा दांव खेला था. पार्टी ने 134 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन पार्टी महज 2 सीटों पर आगे चल रही है. 2015 के चुनाव में भी लोजपा को 2 ही सीटें मिली थीं.
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